IPS विकास वैभव सर की लोकप्रिय कविता यदि अपने पूर्वजों के कृतित्वों से आप प्रेरित हैं और स्वयं की असीमित क्षमताओं के विषय में स्पष्ट हैं तो केवल स्वयं तक सीमित मत रहिए,
इस अद्भूत प्रेेरणा का प्रसार कीजिए। लघुवादों यथा जातिवाद, संप्रदायवाद, लिंगभेद आदि संकीर्णवताओं से परे उठकर बिहार तथा भारत के उज्ज्वलतम भविष्य के निर्माण हेतु बृहत् चिंतन करें तथा दूसरों को भी प्रेरित करें।
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IPS विकास वैभव सर की लोकप्रिय कविता जिसे हम सबको पढ़ना चाहिए :-
IPS विकास वैभव सर की लोकप्रिय कविता :-‘‘है बनना राम आसान नहीं’’
थे जानते त्रिलोकी स्वामी स्वयं को, परंतु प्रदर्शित किंचित् अभिमान नहीं!
ध्येय बना धर्म मर्यादा रक्षण को, गतिमान आदर्श चरित्र भले विघ्नमान कहीं!
युवराज अयोध्या में जब जन्मे, उल्लासित संपूर्ण देख कृपानिधान वहीं!
परंतु जब था सिंहासन आरोहण, तय राजसूय का बना विधान नहीं!
प्रकृति रही अविचलित फिर भी, पितृवचन संकल्प मातृ कैकेयी प्रति सम्मान वही!
ग्रहण वनवास कर लक्ष्मण-सीता संग, पितृशोक भरत निमंत्रण पर भी धैर्य द्वंदमान नहीं!
है बनना राम आसान नहीं! चित्रकूट से किया प्रारंभ नित्य सार्थक, चौदह वर्षाें का वनवास सही!
अहिल्यातारक कौशल्या नंदन, ने किया शबरी फल रूपी अमृत रसपान वहीं!
परंतु इन्हीं वनमार्गाें में पग-पग पर, प्रस्तुत हुए विभिन्न व्यवधान कहीं!
मृग बन प्रस्तुत हो उठा राक्षस, स्वर्णरूप इच्छित व्याकुल जनकसुता वहीं!
नहीं विचलित थे कौशल्या नंदन, परंतु भार्येच्छा प्रति अनिश्चित सम्मान नहीं!
लक्ष्मण को सौंप वैदेही रक्षण, निकल पड़े रघुवंशी संग धनुष बाण वहीं!
है बनना राम आसान नहीं! लक्षित कर मृग मारीच रूपी मायावी, जब प्रत्यंचा से निकला बाण कहीं!
गूंज उठा हाहाकार निर्जन वन में, वैदेही प्रति रावण का ध्यान वहीं!
जब भेजा लक्ष्मण को कर विचलित, प्रस्तुत लंकापति हेतु भिक्षादान वहीं!
तपस्वी रूपी माया में फंसकर, रेखा उल्लंघन का रहा ध्यान नहीं!
पुष्पक तक हुआ लंकारूढ़, रोक सका जटायु का भी संघर्षित प्राण नहीं!
लौटकर विचलित हुए रघुनंदन, विरह भाव संग निकले ढूंढने प्रिये का मार्ग वहीं!
है बनना राम आसान नहीं! इक्ष्वाकू कुल शिरोमणि! था ज्ञात संपूर्ण!
परंतु संघर्ष पथ से अंतर्धान नहीं! लौट सकते थे साकेतपुरी सैन्य संचय हेतु, परंतु निश्चय कर अन्यत्र या ध्यान नहीं!
संसाधन वनीय संग वानर सज्जन, संग हनुमान गठन नव सेना विचित्र की हुई वहीं!
दृढ़ निश्चय से गढ़कर अटल सिंधु मार्ग, पहुँचे लंका द्वीप सुदूर सही!
भीषण रण कर पराजित रावण, स्वर्ण नगरी प्रति रहा मोह नहीं!
कर अग्नि परीक्षण वैदेही पुनः धारण, अयोध्या हेतु चलने से रूके नहीं!
है बनना राम आसान नहीं! पंहँुचे अयोध्या मनी दीवाली, नृपति रूप में हुए आरूढ़ सिंहासन पर वहीं!
चलने लगा तब राम-राज्य, परंतु सर्वत्र उमंग में भी मानव शंका का निदान नहीं!
रजक प्रश्न से होकर आहत, प्रजा संदेश प्रति अंतर्द्वद्व में घिरे श्री राम कहीं!
थी विवशता विश्वास से राज्य संधारण की, राज्यहित में किया निश्चित त्याग वहीं!
जिसे विजित करने को लांघा था सागर, परित्याग हेतु संकुचित लक्ष्मण हुए आदेशबद्ध वहीं!
IPS विकास वैभव सर की लोकप्रिय कविता और विचार:-
आईपीएस विकास वैभव का कहना है कि अच्छे, नि:स्वार्थ और ईमानदार लोगों को राजनीति में आना चाहिए।
इस बीच उनके बारे में लोग अंदाजा लगाने लगे हैं कि कहीं वो राजनीति में तो एंट्री नहीं करना चाहते हैं।
हालाँकि मीडिया से बातचीत में विकास वैभव ने कहा है कि अभी लेट्स इंस्पायर के माध्यम से वो बिहार के पुनर्निर्माण में जुटे हैं।
मैं लोगों को जागरुक करने में जुटा हूँ। मैं हर शनिवार और रविवार को परिवार के साथ रहने की जगह पूरे बिहार के साथ रहने की कोशिश करता हूँ, ताकि बिहार में सामाजिक परिवर्तन ला सकूँ।
IPS विकास वैभव सर की लोकप्रिय कविता और ‘लेट्स इंस्पायर बिहार’
क्या है ‘लेट्स इंस्पायर बिहार’ ‘लेट्स इंस्पायर बिहार’ जो सामाजिक चेतना और जन जागरण अभियान चलाती है। इसकी स्थापना आईपीएस विकास वैभव ने ही की है।
इस अभियान से जुड़े लोगों का लक्ष्य है विकसित और बेहतर बिहार राज्य का निर्माण, जिसमें हजारों लोग जुड़े हैं। इस एनजीओ के माध्यम से बिहार से बाहर रह रहे बिहार के लोग भी जुड़े हैं और तमाम तरह के सहयोग दे रहे हैं।
आईपीएस विकास वैभव का मानना है कि बिहार को पुनर्विकसित करने के लिए राजनीतिक से ज्यादा सामाजिक परिवर्तन की जरूरत है। वो इसी परिवर्तन की अलख जगाने के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं।
बिहार में सामाजिक चेतना जागृत करने के लिए बड़ा अभियान चलाया है, जिसके तहत सैकड़ों कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है। इसी के तहत बेगुसराय के GD कॉलेज में ‘नमस्ते बिहार’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसको संबोधित करते हुए आईपीएस अधिकारी विकास वैभव ने कहा कि जब सोच बड़ी होती है तो आदमी महान हो जाता है।भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है तो बिहार को विकसित प्रदेश बनाना ही होगा।
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IPS विकास वैभव सर की लोकप्रिय कविता